Tuesday, June 7, 2022

जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰

 जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰

मिला मिला कर मिट्टी को जब
                          नया खिलौना बनता है
पाकर उसको हर बच्चे का
                          मन मयूर चहकता  है
खेल खेल में वही खिलौना
                           जब हाथों से गिरता है
तब इस दुनिया में कुछ क्षण
                          सिर्फ अंधेरा दिखता है
जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰॰

जुटा-जुटा  कर रुपयों का नर
                        ठेर खड़ा कर देता है
ठेरों ठेर जोड़ जोड़ कर
                        एक लंबी श्वास को लेता है
वही कमाई जब एक दिन यदि
                         चोरों के माथे पड़ती है
तब कभी तिजोरी खोलो तो
                          सिर्फ अंधेरा दिखता है
जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰॰

प्यार मोहब्बत की बातें सब
                        झूठी-मूटी  लगती हैं
अपनी शादी होने पर गर
                       पत्नि छोड़ निकलती है
प्रथम प्यार जब बचपन का यदि
                         पचपन में दिख जाता है
तब अपना हृदय टटोलो तो
                          सिर्फ अंधेरा दिखता है
जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰॰

मंजिल के दिख  जाने पर यदि
                       सफलता निकट झलकती है
  साथ सफलता होने पर भी
                        सुख कलियां नहीं खिलती हैं
उन ताली के अंतर की ध्वनि
                        यदि कहीं हृदय को चुबती हैं
तब मंजिल ओर निहारो तो
                         सिर्फ अंधेरा दिखता है
जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰॰

लंबी उमर को पाकर के नर
                        मज़े  खूब उड़ाता है
बिना लक्ष्य पहचाने गर,
                      मूल्य  समय गवाॅता है
समय निकलने पर फिर
                        यदि धुंधला-धुंधला दिखता है 
तब ओर घड़ी के देखो तो
                             सिर्फ अंधेरा दिखता है
जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰॰

जोड़ जोड़ कर पैसे सब
                       तू पुत्रों को अर्पण करता है
तेरे मरने के पीछे
                     तू बेटों के हाथों जलता है
तब श्मशान से घर को देखो
                    बस माटी माटी दिखती है
एक नए सूर्य में भी फिर क्यों
                    सिर्फ अंधेरा दिखता है ?
जब मैं पीछे मुड़ता हूं तो सिर्फ अंधेरा दिखता है॰॰॰

संस्कृत व्यवहारिक शब्दावली-

 संस्कृत व्यवहारिक शब्दावली-


1. *अन्नवर्ग - अन्नों के नाम*
अणुः - बासमती चावल
अन्नम् - अन्न
आढ़ की- अरहर
कलायः- मटर
कोद्रवः - कोदो
गोधूमः-गेहूँ
चणकः- चना
चणकचूर्णम्- वेसन
चूर्णम् - आँटा
तण्डुलः - चावल
तिलः - तिल
द्विदलम्- दाल
धान्यम् - धान
प्रियंगुः – बाजरा मसूरः – मसूर
माषः – उड़द
मिश्रचूर्णम् – मिस्सा आटा
मुद् गः – मूँग
यवः – जौ
यवनालः – ज्वार
रसवती- रसोई
वनमुद्गः- लोभिया
व्रीहिः – धान
शस्यम् - अन्न (खेत में विद्यमान)
श्यामाकः – सावां
सर्षपः – सरसों



2. *आयुध वर्ग- अस्त्रों शस्त्रों के नाम*
आयुधम् - शास्त्र-अस्त्र
आयुधागारम् - शास्त्रागार
आहवः- युद्ध
कबन्धः - धड़
करबालिका - गुप्ती
कारा - जेल
कार्मुकम् - धनुष
कौक्षेयकः - कृपाण
गदा - गदा
छुरिका - चाकू
जिष्णुः - विजयी
तूणीरः - तूणीर
तोमरः - गँड़ासा 2 धन्विन् – धनुर्धर
प्रहरणम् - शस्त्र
प्रासः - भाला
वर्मन् - कवच
विशिखः - बाण
वैजयन्ती - पताका
शरव्यम् - लक्ष्य
शल्यम् - वर्छी
सायुंगीनः - रणकुशल
सादिन् - घुड़सवार
हस्तिपकः – हाथीवान



32. *सर्वनाम वर्ग*
कदा--कब,
यदा--जब,
सदा (सर्वदा)---हमेशा,
एकदा--एक समय,
तदीयः--उसका,
यदीयः--जिसका,
परकीयः (अन्यदीयः)--दूसरे का,
उपरि --ऊपर,
अधः --नीचे,
अग्रे, (पुरः, पुरस्तात्)---आगे,, (पश्चात्, पीछे),
बहिः--बाहर,
अन्तः--भीतर,
उपरि -अधः ---ऊपर-नीचे,
इदानीम् , (सम्प्रति, अधुना) अब,इस समय,
आत्मीयः(स्वकीयः,स्वीयः)अपना,
शीघ्रम् --जल्दी,
शनैः शनैः--धीरे-धीरे,
महत् --महान्,
कुर्वत् --करता हुआ
पठत् --पढता हुआ,
ददत् --देता हुआ,
गमिष्यत्--जाने वाला,
कुर्वत् --करता हुआ, ददत्--देता हुआ,
गमिष्यत्--
जाने वाला,
*पठत् --पढता हुआ,*
सद्यः --तत्काल (अतिशीघ्र),
पुनः --फिर,
अद्य --आज,
अद्यैव ---आज ही,
अद्यापि --आज भी,
श्वः --आने वाला कल,
ह्यः --बीता हुआ कल,
परश्वः --आने वाला परसों,
ह्यश्वः --गया हुआ परसों,
प्रपरश्वः --आने वाला नरसों,
प्रह्यश्वः --बीता हुआ नरसों
पुनः पुनः --बार-बार,
युगपत् ---एक ही समय में,
सकृत् --एक बार,
असकृत् --अनेक बार,
पुरा ,प्राक्--पहिले,
पश्चात् ---पीछे,
अथ ,अनन्तरम् --इसके बाद,
कियत् कालम् --कब तक,
एतावत् कालम् --अब तक,
तावत् कालम्—तब तक




31. *धातु वर्ग*
अभ्रकम् - अभ्रक
आयसम्- लोहा
इन्द्रनीलः - नीलम
कार्तस्वरम् , हाटक- सोना
कांस्यम्- कांसा
कांस्यकूटः - कसकूट
गन्धकः - गन्धक
चन्द्रलौहम्- जर्मन सिल्वर
ताम्रकम्- ताँबा
तुत्थाञ्जनम्- तूतिया
निष्कलंकायसम्- स्टेनलेस स्टील
पारदः - पारा
पीतकम् - हरताल पीतलम् - पीतल
पुष्परागः - पुखराज
प्रवालम् - मूँगा
मरतकम् - पन्ना
माणिक्यम् - चुन्नी
मौक्तिकम् - मोती
यशदम् - जस्ता
रजतम् - चाँदी
वैदूर्यम् - लहसुनिया
सीसम् - सीसा
स्फटिका - फिटकरी
हीरकः - हीरा


32. *सर्वनाम वर्ग*
अत्र---यहाँ,
तत्र --वहाँ,
कुत्र--कहाँ,
यत्र --जहाँ,
अन्यत्र---दूसरी जगह,
सर्वत्र---सब जगह,
उभयत्र---दोनों जगह
अत्रैव ---यहीं पर,
तत्रैव---वहीं पर,
यावत्---जितना,
तावत्---उतना,
एतावत् , (इयत्)---इतना,
कियत्--कितना,
इतः---यहाँ से, ततः --वहाँ से,
कुतः --कहाँ से,
यतः --जहाँ से,
इतस्ततः ---इधर-उधर,
सर्वतः ---सब ओर से,
उभयतः --दोनों ओर से,
कुत्रापि ---कहीं भी,
तत्रापि – उसमें भी
यत्र - कुत्रापि ---
जहाँ कहीं भी,
कुतश्चित् ---कहीं से,
कदाचित् ---कभी,
क्व --कब,
क्वापि --कभी भी,
तदा , तदानीम्---तब,
उस समय,

*3.कृषि वर्ग*
उर्वरा - उपजाऊ
ऊषरः – ऊसर
कणिशः – बाल
कोटिशः - धुर्मुश
कृषिः – खेती
कृषियन्त्रम् - खैती का औजार
कृषीवलः – किसान
क्षेत्रम् - खेत
खनित्रम् -फावड़ा
खनियन्त्रम् - ट्रैक्टर
खलम् – खलिहान
खाद्यम् – खाद
तुषः – भूसी
तोत्त्रम् - चाबुक
दात्रम् – दँराती
पलालः – पराल
फालः – हल की फाल
बुसभ् – भूसा
मृत्तिका – मिट्टी
लाड़्गलम् – हल
लोष्टम् – ढेला
लोष्टभेदनः –मुँगरी, पटरा
वसुधा – पृथ्वी
शाद्वलः – शस्य श्यामल
सीता – जुती भूमि


4. *क्रीडासन वर्ग- खेल सम्बन्धी नाम*
आसन्दिका – कुर्सी
उपस्करः – फर्नीचर
कन्दुकः – गेंद
काष्ठपरिष्करः – रैकेट
काष्ठमंजूषा – आलमारी
काष्ठासनम् – बेंच
क्रीडाप्रतियोगिता- मैच
क्षेपककन्दुकः – वालीवाल
खट्वा – खटिया
जालम् – नेट
निर्णायकः – रेफरी
निवारः – निवाड़
पत्रिक्रीड़ा – बैटमिंटन
पर्पः – चारों ओर मुड़ने वाली कुर्सी
पर्यंङ्कः – सोफा
पल्यङ्कः – पलंग
पादकन्दुकः – फुटबाल
पुस्तकाधानम् – बुकरैंक
प्रक्षिप्त- कन्दुक-क्रीडा – टेनिस का खेल
फलकम् - मेज
मञ्जूषा - संदूक, पेटी
यष्टि-क्रीड़ा – हाकी का खेल
लेखनपीडम् – डेस्क
संवेशः- स्टूल
पत्रिन् – चिड़िया


5. *दिक्काल वर्ग- समय सम्बन्धी नाम*

अपराह्नः – तीसरा पहर
उदीची – उत्तर
कला - मिनट
काष्ठा – दिशा
घटिका – घड़ी
दक्षिणा – दक्षिण
दिवसः – दिन
दिवा – दिन में
नक्तम् – रात में
निदाघः – ग्रीष्म ऋतु
निशीथः – आधी रात
पराह्नः – दोपहर के बाद का समय पूर्वाह्नः – दोपहर के पहले का समय
प्रत्यूषः – प्रातः
प्रदोषः – सूर्यास्त समय
प्रतीची – पश्चिम
प्राची – पूर्व
प्रावृष् – वर्षा – काल
मध्याह्नः – दोपहर का समय
रात्रिन्दिवम् – दिन-रात
वादनम् – बजे
विकला – सेकेण्ड
विभावरी – रात
वेला – समय
हीरा – घण्टा


6. *देव वर्ग- देवता सम्बन्धी नाम*
अच्युतः – विष्णु
असुरः – राक्षस
कृतान्तः – यम
कृशानुः – अग्नि
त्रयम्बकः – शिव
नाकः – स्वर्ग
पविः – वज्र
पीयूषम् – अमृत
पुष्पधन्वन् – कामदेव
पौलोमी – इन्द्राणी
प्रचेतस् – वरूण
मनुष्यधर्मन – कुबेर
मातरिश्वन् – वायु
लक्ष्मीः – लक्ष्मी
वेधस् – ब्रह्मा
शतक्रतुः - इन्द्र
शार्वाणी – पार्वती
सुरः – देवता
सेनानीः – कार्तिकेय



30. *सैन्यवर्ग*
अग्निचूर्णम - बारूद
आग्नेयास्त्रम् - बम
आग्नेयास्त्रक्षेपः- बम फेंकना
एकपरिधानम् - एकवेष, यूनिफार्म
गुलिका- गोली
जलपरमाण्वस्त्रम् - हाइड्रोजन बम
जलान्तरिपोतः- पनडुब्बी
धूमास्रम्- टीयर गैस
नौसेनाध्यक्षः- जलसेनापति
पदातिः- पैदल सेना
परमाण्वस्त्रम्- एटम बम
पोतः- पोत भुशुण्डिः- बन्दूक
भूसेनाध्यक्षः- भू-सेनापति
युद्धपोतः- लड़ाई का जहाज
युद्ध विमानम्- लड़ाई का विमान
रक्षिन् - सिपाही
लघुभुशुण्डिः- पिस्तौल
वायुसेनाध्यक्षः- वायुसेनापति
विमानम् – विमान
शतघन्नी- तोप
शिरस्त्रम्- लोहे का टोप
सैनिकः- फौजी आदमी
सैन्यवेषः- वर्दी



29. *सम्बन्ध सूचक शब्दाः*
अग्रज : -बडा भाई
अनुज:,
निष्ठसहोदर: -छोटा भाई
अरिः – दुश्मन
आत्मजः – पुत्र
आत्मजा – पुत्री
आलिः – सखी
आवुत्तः – बहनोई
उपपतिः – जार
गणिका – वेश्या
जनकः – पिता
जननी – माता
जामाता – दामाद
दूती – दूती
देवर : -देवर
ननान्दृ (ननान्दा) -ननद
नप्तृ (नप्ता) -नाती
पति: -पति
पितामह : -दादा
पितामही -दादी
पितृव्यपुत्र : -चचेरा भाई
पितृव्य : -चाचा
पितृव्यपत्नी -चाची
प्रपौत्र:,
प्रपौत्री -पतोतरा (तरी)
परिचारिका -नौकरानी प्रपितामह : -परदादा
पौत्री -पोती
पितृष्वसृ (पितृष्वसा) -फूआ
पितृष्वसृपति : -फूफा
पैतृष्वस्रीय : -फुफेरा भाई
प्रपितामही -परदादी
प्रमातामह: -परनाना
प्रमातामही -परनानी
पुत्री, आत्मजा  - पुत्री
पौत्र : -पोता
प्रतिवेशी - पड़ोसी श्वसुरः – श्वसुर
सम्बन्धिन् – समधी
साध्वी –पतिव्रता
सौभाग्यवती – सोहागिन
स्वसृ - बहिन
गर्भिणी -गाभिन
बन्धुः –
रिश्तेदार
भागिनेयः – भानजा
भृत्यः – नौकर
भ्रात्रीयः – भतीजा
भातृसुता – भतीजी
मातामह : -नाना
मातामही -नानी
मातुलः –
माना
मातुली – मामी
मातृष्वसृपति : -मौसा -
मातृष्वस्रीय : -मौसेरा भाई
मातृष्वसृ -मौसी
यातृ - देवरानी
योषितः – स्त्री
वयस्यः – मित्र
विश्वस्ता – रण्डा
वृद्धप्रपितामहः – वृद्धपरनाना
श्यालः – साला
श्वश्रूः – सास

7. *नाट्यवर्ग/ संगीत /वाद्ययंत्र सम्बन्धी नाम*
अवरोहः – उतार
आरोहः – चढ़ाव
कोणः – मिजराव
जलतरङ्गः – जलतरङ्ग
डिण्डिमः – ढिढोरा
ढौलकः – ढोलक
तन्त्रीकवाद्यम् – पियानो
तानपूरः –तानापूरा
तारः – तीव्रस्वर
तूर्यम् – तुरही
दुन्दुभिः – नगाड़ा
नवरसाः - नवरस
पटहः – ढोल
मञ्जीरम् – मंजीरा
मध्यः - मध्यम स्वर
मनोहारिवाद्यम्
- हारमोनियम्
मन्द्रः – कोमल स्वर
मुरजः – तबला
मुरली – बाँसुरी
वादित्रगणः – बैण्ड
वीणावाद्यम् – बीनबाजा
सप्तस्वराः – सात स्वर
सारङ्गी – वायोलिन, सारंगी
संज्ञाशंखः – विगुल



8. *पक्षिवर्ग*
कीरः – तोता
कुक्कुटः – मुर्गा
कुलायः – घोंसला
कौशिकः – उल्लू
खञ्जनः – खञ्जन
गृध्रः – गिद्ध
चकोरः – चकोर
चटका – चिड़िया (गौरैया)
चक्रवाकः – चकवा
चातकः – चातक
चाषः – नीलकण्ठ
चिल्लः – चील
टिट्टिभिः – टिटिहीर
तित्तिरः – तीतर
दार्वाघाटः - कठफोड़ा
ध्वाङ्क्षः – कौआ
परभृतः – कोयल
पारावतः – कबूतर
बकः – बकुला
बर्हिन् - मोर
मरालः – हंस
लावः – बटेर
वर्तकः – बतख
वरटा – हंसी
शलभः – टिड्डी, पतंगा
श्येनः – बाज
षट्पदः – भौंरा
सरघा - मधुमक्खी
सारसः – सारस
सारिका – मैना


9. *पशुवर्ग - पशुओं के नाम*
उष्ट्र‚ क्रमेलकः - ऊट
कच्छप: - कछुआ
कर्कट: ‚
कुलीरः - केकड़ा
श्वान:, कुक्कुर:‚
सारमेयः - कुत्ता
सरमा‚ शुनि - कुतिया
कंगारुः -कंगारू
कर्णजलोका -कनखजूरा
शशक: - खरगोश
गो, धेनु: - गाय
खड्.गी - गैंडा
श्रृगाल:‚गोमायुः - गीदड (सियार)
चिक्रोड: -गिलहरी
कृकलास: -गिरगिट
गोधा - गोह
गर्दभ:, रासभ:‚
खरः - गधा
अश्व:,सैन्धवम्‚ सप्तिः‚वाजिन्‚हयः रथ्यः‚ - घोड़ा
मूषक: - चूहा -
तरक्षु:, चित्रक: - चीता
चित्ररासभ: -
चित्तीदार घोड़ा
छुछुन्दर: - छछूंदर
गृहगोधिका - छिपकली
चित्रोष्ट्र - जिराफ
मृग:- हिरन
नकुल: - नेवला
गवय: - नीलगाय
वृषभ: ‚ उक्षन्‚
अनडुह - बैल
मर्कट: - बन्दर
व्याघ्र:‚ द्वीपिन् - बाघ
अजा - बकरी
अज : - बकरा
वनमनुष्य : - बनमानुष
मार्जार:,
बिडाल: - बिल्ली
भल्लूक: - भालू
महिषी - भैस , महिषः भैंसा
वृक: - भेंडिया
मेष: - भेंड
उर्णनाभः‚
तन्तुनाभः‚ लूता - मकड़ी
मकर: ‚ नक्रः - मगरमच्छ
मत्स्यः ‚ मीनः‚
झषः - मछली
दर्दुरः‚ भेकः - मेंढक
लोमशः - लोमडी
सिंह:‚ केसरिन्‚
मृगेन्द्रः‚ हरिः - शेर
सूकर:‚ वराहः - सुअर
शल्यः - सेही
हस्ति, करि, गज: - हाथी
तरक्षुः - तेंदुआ
जलाश्व: - दरियाई घोड़ा


*28.वस्त्राणां नामानि – वस्त्रों के नाम*
अंगरक्षिका-
अंगरखा
उनी वस्त्र - रांकवम्
ओढनी - प्रच्छदपट:
कंबल - कम्बल:
कनात - काण्डपट:,
अपटी
कपड़ा - वस्त्रम्,
वसनम्, चीरम्
कमरबन्द - रसना,
परिकर:, कटिसूत्रम्
कुरता - कंचुक:,
निचोल:
कोट - प्रावार:
गात्रमार्जनी -
अंगोछा
गद्दा - तूलसंतर:
गलेबन्द - गलबन्धनांशुकम्
चादर - शय्याच्छादनम्,
प्रच्छद:
जांघिया - अर्धोरुकम्
जाकेट - अंगरक्षक:
मोजा - पादत्राणम्
रजाई - तूलिका,
नीशार:
रुई - कार्पास:, तूल:
सलवार - स्यूतवरः
साड़ी - शाटिका जूता - उपानह
तकिया - उपधानम्
दरी - आस्तरणम्
दुपट्टा - उत्तरीयम्
धोती - अधोवस्त्रम्,
धौतवस्त्रम्
नाइटड्रेस - नक्तकम्
नायलोन का - नवलीनकम्
पगड़ी - शिरस्त्रम्,
उष्णीषम्
परदा - यवनिका,
तिरस्करिणी,
पायजामा - पादयाम:
पेटीकोट - अन्तरीयम्
पैंट - आप्रपदीनम्
बिछौना - शैय्या
ब्लाउज - कंचुलिका
मरेठा (टोपी) - शिरस्त्राणम्
रेशमी- कौशेयम्
शेरवानी - प्रावारकम्


तक्षणी- बसुला

*वृत्तिः*

तैलकार :,
तैलिक: -तेली
तुन्दिल : -पेटू
त्वष्टा ,
स्थपति:, -बढई
द्यूतकर: -जुआरी
नापित:,
क्षौरिक: -नाई
निर्णेजक : -ड्राई क्लीनर
नीली - नील
अजाजीवः – गड़रिया
अनुपदीना – गमबूट
अन्त्यजः – हरिजन
उपानह – जूता
कुलालः – कुम्हार
चर्मकारः – चमार
चर्मप्रभेदिका- जूता सीने की सूई
तस्करः – चोर
पादुका – चप्पल शस्त्रमार्जक :,
असिजीवी -शाण्डवाला
शौण्डिक : -मांसविक्रेता
शौल्विक : -तांबे के बर्तन बनाने वाला
सूचिका - सूई
सूत्रम् –धागा
स्थापितः - बढ़ई
सौचिक :,
सूचक: -दर्जी
स्वर्णकारः - सुनार
प्रैस्यः – चपरासी
मायाकारः – जादूगर
मार्जनी – झाड़ू
मालाकारः – माली
मृगयुः – शिकारी
मृगया – शिकार
लेपकः – पुताई वाला
शाकुनिकः - बहेलिया
संमार्जकः - भंगी


*27.शैल वर्ग- पर्वत सम्बन्धी*
अद्रिः – पर्वत
अद्रिद्रोणी – घाटी
अधित्यका – पठार
उत्सः – सोता
उपत्यका – तराई
खानिः – खान
गह्वरम् – गुफा
ग्रावा – पत्थर दरीं –
दर्रा
निकुञ्जः – झाड़ी
निर्भरः – पहाड़ी नाला
प्रपातः – झरना
शिला – चट्टान
श्रृङ्गम् – चोटी
हिमसरित् – ग्लेशियर (बर्फीला)

संस्कृत ग्रन्थों की सूची

 संस्कृत ग्रन्थों की सूची

अभिषेक नाटक - भास
अभिज्ञान शाकुन्तलम् - कालिदास
अविमारक - भास
अर्थशास्त्र - चाणक्य
अष्टाध्यायी - पाणिनि
आर्यभटीयम् - आर्यभट
आर्या-सप्तशती - गोवर्धनाचार्य
उरुभंग - भास
ऋतुसंहार - कालिदास
कर्णभार - भास
कादम्बरी - वाणभट्ट
कामसूत्र - वात्स्यायन
काव्यप्रकाश - मम्मट
काव्यमीमांसा - राजशेखर
कालविलास - क्षेमेन्द्र
किरातार्जुनीयम् - भारवि
कुमारसंभव - कालिदास
बृहत्कथा - गुणाढ्य
चण्डीशतक - वाणभट्ट
चरक संहिता - चरक
चारुदत्त भास
चौरपंचाशिका - बिल्हण
दशकुमारचरितम् - दण्डी
दूतघटोत्कच - भास
दूतवाक्य - भास
न्यायसूत्र - गौतम
नाट्यशास्त्र - भरतमुनि
पञ्चरात्र - भास
प्रतिमानाटकम् भास
प्रतिज्ञायौगंधरायण - भास
बृहद्यात्रा - वाराहमिहिर
ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त - ब्रह्मगुप्त
ब्रह्मसूत्र - बादरायण
बालचरित्र - भास
मध्यमव्यायोग भास
मनुस्मृति - मनु
महाभारत - वेद व्यास
मालविकाग्निमित्र - कालिदास
मुकुटतादितक - वाणभट्ट
मेघदूत - कालिदास
मृच्छकटिकम् - शूद्रक
मिमांसा - जैमिनी
योगयात्रा - वाराहमिहिर
योगसूत्र - पतंजलि
रघुवंश - कालिदास
रसरत्नसमुच्चय - वाग्भट्ठ
रसमञ्जरी - शालिनाथ
रसरत्नसमुच्चय - वाग्भट्ठ
राजतरंगिणी - कल्हण
रामायण - महर्षि वाल्मीकि
व्याकरणमहाभाष्य - पतंजलि
वाक्यपदीय - भर्तृहरि
विक्रमोर्वशीय - कालिदास
वैशेषिकसूत्रम् - कणाद
स्वप्नवासवदत्तम - भास
समय-मातृका - क्षेमेन्द्र
साहित्य दर्पण - विश्वनाथ कविराज
सांख्यसूत्र - कपिलमुनि
सिद्धान्त शिरोमणि -
हर्षचरित्र - वाणभट्ट
ग्रन्थकार और ग्रन्थ
निम्नलिखित सूचियाँ अंग्रेजी (रोमन) से मशीनी
लिप्यन्तरण द्वारा तैयार की गयीं हैं। इनमें बहुत सी
त्रुटियाँ हैं। विद्वान कृपया इन्हें ठीक करने का कष्ट
करे।
ग्रन्थकार --- ग्रन्थ
भर्तृहरि - वाक्यपदीयम्
वामन एवं जयादित्य - काशिकावृत्ति
भट्टोजिदीक्षित - वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी
अभिनन्द --- son of जयन्त, योगवशिष्ठसार,
कादम्बरीकथासार, रामचरित
अभिनवगुप्त --- ध्वन्यालोकलोचन, परमार्थसार
अध्यराज --- उत्साह
अग्गवन्स --- सद्दनीति
अलत --- joint author of काव्यप्रकाश
अमरचन्द्र --- बालभरत, काव्यकल्पलता
अमरसिंह --- नामलिङ्नुगानुशासन
अमरुक --- अमरुकशतक
अमितगति --- धर्मपरीक्षा, सुभाषितरत्नसम्दोह
आनन्द --- माधवनलकथा
आनन्दगिरि --- शंकरविजय
आनन्दतीर्थ --- यमकभरत
आनन्दवर्धन --- देविशतक, ध्वन्यालोक
अनन्त --- भरतचम्पु
अनन्त --- वीरचरित्र
अन्नम् भट्ट --- तर्कसंग्रह
अनुभूति --- सरस्वतिप्रक्रिया
अनुभूति स्वरूपाचार्य --- सरस्वतिप्रक्रिया
अपदेव --- मीमांसान्यायप्रकाश
अप्पय्य दीक्षित --- कुवलयानन्द
अरिसिंह --- काव्यकल्पलता, शुक्र्तसम्किर्तन
आर्यभट्ट --- आर्यभटिय, दशगीतिकासूत्र, आर्यस्तशत
(includes गणित), कालक्रिया, गोल
आर्यभट्ट ii --- आर्य सिद्धान्त
आर्य देव --- चतुशतिक, हस्तवलप्रकरनवृत्ति
आर्य शूर --- जातकमाला
अशधर --- धर्मामृत
अश्वगोश --- बुद्धचरित, गन्दिस्तोत्रगाथा,
सौन्दरानन्द
अश्विनिकुमार --- रसरत्नसमुच्चय
असंग --- (buddhist philosopher) महायनसूत्रलंकार,
बोधिसत्त्वभुमि, योगचरभूमिशास्त्र
अत्रि --- अत्रि स्मृति
आत्रेय --- आत्रेय संहिता
बादरयण --- ब्रह्म सूत्र
बल्ललसेन --- अद्भुतसागर
बल्ललसेन --- भोजप्रबन्ध
बाण --- कादम्बरी, हर्षचरित, चन्डीशतक
भल्लत --- शतक, शान्तिशतक
मम्मट --- काव्यप्रकाश
भानुदत्त --- रसमन्जरि, रसतरन्गिनि
भरत --- नाट्यशास्त्र
भरतचन्द्र --- विद्यासुन्दर
भरतितीर्थ --- part author of पंचदशि
भारवि --- किरातार्जुनीयम्
भर्तृहरि --- वाक्यपदिय, वैराग्यशतक, शृन्गारशतक
भास --- चारुदत्त, प्रतिज्ञयौगन्धरयन, प्रतिमनतक,
स्वप्नवासवदत्ता
भासर्वज्ञ --- न्यायसार
भास्करचार्य --- करनकुतुहल, लीलावती,
सिद्धान्तशिरोमणि
भास्करचार्य --- गणित, गोल, ग्रहगणित, बीजगणित
भट्टकलन्कदेव --- कर्नतकशब्दानुशासन
भट्ट नायक --- ह्र्दयदर्पण
भट्टि --- रावणवध (भट्टिकाव्य)
भट्टोजि दीक्षित --- प्रक्रियाकौमुदि,
सिद्धान्तकौमुदि, प्रौधमनोरम
भट्टोत्पल --- होराशास्त्र
भवभूति --- उत्तररामचरित, मालतीमाधव
भावमिश्र --- भावप्रकाश
भयभंजनशर्मन् --- रमलरहस्य
भोज --- युक्तिकल्पतरु, राजमार्तन्ड, राजमृगान्क,
राजवर्त्तिका, रामायणचम्पु (with लक्ष्मण भट्ट),
शलिहोत्र,
शृन्गारप्रकाश, समरंगनसूत्रधार, सरस्वतिकण्ठाभरण,
भुम, भुमक
भौमक --- रावणर्जुनीय
बिहारी lal --- सत्सै
विल्हण --- कर्णसुन्दरि, चौरपंचशिखा (or
चौरिसुरतपंचशिखा),
विक्रमन्कदेवचरित
बिल्वमंगल --- कृष्णकर्णामृत (or कृष्णलीलामृत)
ब्रह्मगुप्त --- खण्डखद्यक, ब्रह्मसिद्धान्त, स्फुत
ब्रह्मसिद्धान्त
बुद्धभट्ट --- अगस्तिमत, रत्नपरीक्षा
बुद्धघोषाचार्य --- पद्यचूडमणि
बुधस्वामिन् --- बृहत्कथाश्लोकसंग्रह
चक्रपाणि --- दशकुमारचरित continues
चक्रपाणिदत्त --- चिकित्सासारसंग्रह
छन्द --- प्राकृतलक्षन
चन्देश्वर --- स्मृतिरत्नाकर, नीतिरत्नाकर
चन्द्र --- चन्द्र व्याकरण
चन्द्रगोमिन् --- शिष्यलेखधर्मकाव्य
चरित्रसुन्दर गनिन् --- महिपलचरित्र
चिदम्बर --- राघवपाण्डवीयायदवीय
चिन्तामणि भट्ट --- शुकसप्तति
दामोदर of दीर्घघोश family --- वाणीभूषण
दामोदर, son of लक्ष्मीधर --- संगीतदर्पण
दामोदरगुप्त --- कुत्तनिमत
दण्डिन् --- दशकुमार चरित, अवन्तिसुन्दरिकथा,
काव्यदर्श, द्विसंधनकाव्य
देव --- दैव
देवदत्त --- a version of शुकसप्तति
देवनन्दिन्, पुज्यपाद --- जैनेन्द्र व्याकरण
देवन्न भट्ट --- स्मृतिचन्द्रिक
देवप्रभा सुरि --- पन्दवचरित्र, मृगवतिचरित्र
धनंजय --- दशरूप, राघवपाण्डविय
धनंजय --- नाममाला
धनपल --- तिलकमन्जरि, पैयलच्चि, ऋशभपंचशिखा
धन्वन्तरि --- author of a medical glossary
धर्मकीर्ति --- न्यायबिन्दु
धर्मराज --- वेदान्तपरिभास
धर्मोत्तर --- न्यायबिन्दुटीका
धो --- पवनदूत
दिग्नाग --- न्यायप्रवेश (or by शंकरस्वामिन्),
प्रमाणसमुच्चय
दीपांकर --- अश्ववैद्यक
दुर्लभराज --- समुद्रतिलक
द्य द्विवेद --- नीतिमन्जरि
गण --- अश्वायुर्वेद
गणेश --- ग्रहलाघव
गंगादास --- छन्दोमन्जरि
गंगेश --- तत्त्वचिन्तामणि
गौडपाद --- author of करिकास्
घतकर्पर --- घतकर्परकाव्य, नीतिसार (ascr ---)
गोपिनाथ --- revises दशकुमारचरित
गोवर्धन --- आर्यसप्तशति
गुमणि --- उपदेशशतक
गुणभद्र --- उत्तरपुराण
गुणचन्द्र --- नाट्यदर्पण (with रामचन्द्र)
गुणाढ्य --- बृहत्कथा
हल --- सत्तसै
हलायुध --- ब्राह्मणसर्वस्व
हलायुध poet and grammarian --- अभिधनरत्नमाला
हलायुध --- कविरहस्य
हरदत्त --- पदमञ्जरी
हरदत्त सुरि --- राघवनैसधीय
हरिभद्र --- धर्मबिन्दु, योगदृष्टिसमुच्चय, योगबिन्दु,
लोकतत्त्वनिर्णय, सद्दर्शनसमुच्चय
हरिचन्द्र --- धर्मशर्मभ्युदय
हरिचन्द्र --- जीवनधरचम्पु
हर्षवर्धन --- अष्टमहश्रीचैत्यस्तोत्र, सुप्रभातस्तोत्र
हर्ष --- नागानन्द, प्रियदर्शिखा, रत्नावलि
हर्षदेव --- लिन्गनुशासन
हर्षकीर्ति सुरि --- ज्योतिषसरोद्धर
हेमचन्द्र --- अनेकार्थसंग्रह, अभिधनचिन्तामणि,
काव्यनुशासन, छन्दोनुशासन, त्रिषष्ठिशलकापु
रुषचरित,
देशिनाममाला, द्व्यश्रयकाव्य, निघन्तुशेष,
परिशिस्तपर्वन्,
प्रमाणमीमांसा, लघु अर्हन्नीति, वीतरागस्तुति,
सिद्धहेमचन्द्र,
हैम व्याकरण
हेमाद्रि --- चतुर्वर्गचिन्तामणि, शतश्लोकि
हेमविजय --- कथारत्नाकर
इरुगप --- नानार्थरत्नमाला
ईश्वरकृष्ण --- सांख्यकरिका
जगद्देव --- स्वप्नचिन्तामणि
जगदीश --- तर्कामृत
जगन्नाथ --- भामिनिविलास, रसगंगधर
जैमिनि --- मीमांसा सूत्र
जल्हन --- मुग्धोपदेश, सुभाषितमुक्तावलि,
सोमपलविलास
जम्भलदत्त --- version of वेतालपंचविन्शतिक
जयदत्त --- अश्ववैद्यक
जयदेव --- गीतगोविन्द
जयदेव, dramatist --- चन्द्रलोक
जयदेव --- रत्नमन्जरि
जयादित्य --- कशिकावृत्ति
जयन्त भट्ट, father of अभिनन्द --- न्यायमन्जरि
जयरथ --- अलंकारविमर्शिनि, हरचरितचिन्तामणि
जयवल्लभ --- वज्जलग्ग
जीमूतवहन --- दयाभाग, धर्मरत्न
जिनकीर्ति --- चम्पकश्रेश्तिकथानक,
पलगोपलकथानक
जिनसेन --- हरिवंशपुराण
जिनसेन --- आदिपुराण, पर्श्वभ्युदय
जिनेन्द्रबुद्धि --- न्यस
ज्योतिरीश्वर --- पंचसयक
कल्हण --- राजतरंगिणी
कालिदास --- ऋतुसंहार, कुमारसम्भव,
मालाविकाग्निमित्र, मेघदुत,
रघुवंश, विक्रमोर्वशीय, शकुन्तला, शृन्गारसश्तक (ascr
---), श्रुतबोध
कल्लत --- स्पन्दकरिका
कल्याणमल्ल --- अनंगरंग
कमलाकर --- निर्णयसिन्धु
कमन्दकि --- नीतिसार
कनद --- वैशेषिक्क सूत्र
कनकसेन --- यशोधरचरित
कश्यप --- बालवबोधन
कश्यप --- धर्मसूत्र
कात्यायन --- अनुक्रमणिस्, कात्यायन स्मृति,
नाममाला
कौटिल्य --- अर्थशास्त्र
कविराज सुरि --- राघवपाण्डविय
केदार भट्ट --- वृत्तिरत्नाकर
केशव मिश्र --- तर्कभाषा
केशवस्वामी --- नानार्थर्नवसम्क्षेप
कोक्कोक --- रतिरहस्य
कृष्णलीलाशुक --- पुरुषकर
क्रमदीश्वर --- संक्षिप्तसार
क्षेमम्कर --- version of सिंहासनद्वत्रिन्शिका
क्षेमेन्द्र --- अवदन्कल्पलता, औचित्यविचार,
कलाविलास, कविकण्ठाभरण,
चतुर्वर्गसंग्रह, चारुचर्यशतक, दर्पदलन, दशावतारचरित,
नृपावलि, पद्य कादम्बरी, बृहत्कथामन्जरि,
भरतमन्जरि,
रामायणमन्जरि, समयमातृर्क, सुवृत्ततिलक,
सेव्यसेवकोपदेश
कुलशेखर --- मुकुन्दमाला
कुमारदास --- जानकीहरण
कुमारलता --- कल्पनमन्दिटीका or सुत्रालंकार
कुमारस्वामिन् --- रत्नपन
कुमरिल --- तुप्तिक, तन्त्रवर्त्तिक, श्लोकवर्त्तिक
कुन्तल --- वक्रोक्तिजिवित
कुसुमदेव --- द्र्श्तन्तशतक
लक्ष्मण आचार्य --- चन्डीकुचपंचशिखा
लक्ष्मण भट्ट --- रामायणचम्पु (with भोज)
लक्ष्मीधर --- सद्भाषाचन्द्रिका
लक्ष्मीधर --- स्मृतिकपतरु
लल्ल --- शिष्यधिव्र्द्धितन्त्र
लौगक्सि भास्कर --- अर्थसंग्रह, तर्ककौमुदि
लीलाशुक --- कृष्णकर्णामृत
लोकसेन --- उत्तरपुराण continues
लोलिम्बराज --- हरिविलास, वैद्यजीवन
मदनपल --- मदनविनोदनिघन्तु
माधव brother of सयन --- part author of
जीवनमुक्तिविवेक, धातुवृत्ति,
न्यायमालाविस्तर, पंचदशि, पराशरस्मृतिव्याख्या
माधव --- शंकरदिग्विजय
माधव --- सर्वदर्शनसंग्रह
माधव --- जीवनमुक्तिविवेक
मधव्कर --- रुग्विनिश्चय
मधुसूधन सरस्वति --- प्रस्थानभेद
मध्व --- तत्त्वसांख्यन
माघ --- शिशुपालवध
महनमन् --- महावन्स
महावीराचार्य --- गणितसारसंग्रह
महेश्वर --- विश्वप्रकाश
महिमन् भट्ट --- व्यक्तिविवेक
मैत्रेयरक्षित --- धातुप्रदीप
मकरन्द --- तिथ्यादिपत्र
मल्लवदिन् --- न्यायबिन्दुटीकातिप्पनि
मल्लिसेन --- स्यद्वदमन्जरि
मम्मट --- काव्यप्रकाश
मनतुन्ग --- भक्तमरस्तोत्र
मण्डन मिश्र --- मीमांसानुक्रमणि, विधिविवेक
माणिक्य नन्दिन् --- परिक्षमुखसूत्र
माणिक्य सुरि --- यशोधरचरित्र
मन्ख --- अनेकार्थकोश, श्रीकण्ठचरित
मार्कण्डेय --- प्राकृतसर्वस्व
मथुरनत्थ --- तत्त्वचिन्तामणिरहस्य
मत्र्चेत --- वर्णनर्हवर्णन, शतपंचशतिकस्तोत्र
मयूर --- मयूराष्टक, सूर्यशतक
मेधतिथि (गौतम) --- न्यायशास्त्र
मेदिनिकर --- अनेकार्थशब्दकोश
मेघविजय --- पंचख्यनोद्धर
मेन्थ --- हयग्रीववध
मेरुतुन्ग --- प्रबन्धचिन्तामणि
मिल्हन --- चिकित्सामृत
मित्र मिश्र --- वीरमित्रोदय
मोग्गल्लन --- सद्दलक्खन
मुक --- पंचशति
नागराज --- भावशतक
नागर्जुन --- योगशतक, योगसार
नागर्जुन --- रतिशास्त्र
नागर्जुन --- रसरत्नाकर
नागर्जुन --- धर्मसंग्रह, मध्यमिकसूत्र, मध्यमकरिकास्,
सुह्र्ल्लेख
नगोजि भट्ट --- परिभसेन्दुशेखर
नकुल --- अश्वचिकित्सित
नारद --- भक्तिशास्त्र (ascr ---)
नरहरि --- राजनिघन्तु
नरहरि --- नरपतिजयाचार्य स्वरोदय
नारायण पण्डित --- हितोपदेश
नारायण --- मतंगलिल
नारायण --- स्वहसुधाकरचम्पु
नारायण --- वृत्तिरत्नाकर
नारायण भट्ट --- मनमेयोदय
नारायण पण्डित --- नवरत्नपरिक्ष
नीलक्ण्ठ --- भगवन्तभास्कर
नीलक्ण्ठ --- तजिक
निम्बर्क --- वेदान्तपारिजतसौरभ, सिद्धान्तरत्न
नित्यनाथ --- रसरत्नाकर
ओदयदेव --- गद्यचिन्तामणि
पदलिप्त --- तरंगवति
पद्मगुप्त --- नवसहसन्कचरित
पद्मनभदत्त --- सुपद्मव्याकरण
पद्मपद --- पंचदीपिका
पैथिनसि --- धर्मसूत्र
पाणिनि --- अष्टध्यायी, उणादिसूत्र,
जाम्बवतीविजय, पातलविजय
परमानन्द --- शृन्गारसप्तशतिक
पतञ्जलि --- महाभाष्य
पिन्गल --- छन्दस्सूत्र
पृथुयशस् --- होरासत्पंचशिखा
प्रभाचन्द्र --- प्रभावकचरित्र

चौबीस तीर्थंकर के नाम करण

 चौबीस तीर्थंकर के नाम करण


(1) श्री ऋषभनाथ जी :- प्रथम ऋषभ का स्वप्न और लान्छन देख कर ऋषभ नाम पड़ा।
(2) श्री अजीत नाथ जी :- चोपड़ पासे के खेल मे गर्भ के प्रभाव से राजा रानी की जीत होती गयी इस लीये अजीत नाम पड़ा I
(3) श्री संभवनाथ जी :- देश में धन धान्य का समुह में उत्पन्न हुआ देख कर संभव नाम पड़ा।
(4) श्री अभिनन्दननाथ जी :- गर्भ के समय इन्द्रों ने आकर बार बार अभिनन्दन किया इस लीये अभिनन्दन नाम पड़ा।
(5) श्री सुमतिनाथ जी :- राजक्रिया में कुछ कठिनाई आने पर रानी को कुछ सुमति सुझी इस लीये सुमति नाम पड़ा।
(6) श्री पद्मप्रभ जी :-पद्म कमल की सैया पर सोने का दोहद उत्पन्न हुआ और पद्म के समान शरीर देख कर पद्म नाम पड़ा।
(7) श्री सुपार्श्वनाथ जी :- रानी के स्पर्श से राजा की पसली्यां सीधी हो गयी इसलीये सुपार्श्व नाम पड़ा।
(8) श्री चन्द्रप्रभ जी :- चन्द्रमा खाने के दोहद से और चन्द्र के समान शरीर देख कर चन्द्रप्रभ नाम पड़ा।
(9) श्री पुष्पदन्त जी :- रानी को सुबुधि हुइ और पुष्प के समान दन्त देख कर सुविधिनाथ और पुष्पदन्त नाम पड़ा।
(10) श्री शीतलनाथ जी :- रानी के हाथ के स्पर्श से राजा का दाह्ज्वर रोग हटने से शीतलनाथ नाम पड़ा।
(11) श्री श्रेयांसनाथ जी :- बहुत लोगों का श्रेय करने से श्रेयांस नाम पड़ा।
(12) श्री वासुपुज्य जी :- वासुइन्द्र ने वासु द्रव्य की वृष्टी की इसलीये वासुपुज्य नाम पड़ा।
(13) श्री विमलनाथ जी :- गर्भ में आने पर माता की बुध्दि निर्मल होने से विमलनाथ नाम पड़ा।
(14) श्री अनन्तनाथ जी :- राजसिंहासन ने अनन्त बलशाली शत्रु की सेना को जीत लीया इसलीये अनन्तनाथ नाम पड़ा।
(15) श्री धर्मनाथ जी :- माता पिता को धर्म में दृढ प्रीति होने के कारण धर्मनाथ नाम पड़ा।
(16) श्री शान्तिनाथ जी :- देश में महामारी का उपद्रव शान्त होने के कारण शान्तिनाथ नाम पड़ा।
(17) श्री कुन्थुनाथ जी :- गर्भ में माता ने कुन्थु नाम का रत्नसंचय देखा इसलीये कुन्थु नाम पड़ा।
(18) श्री अरनाथ जी :- माता को गर्भ में रत्नमय आरा दिखा इसलीये अरनाथ नाम पड़ा।
(19) श्री मल्लिनाथ जी :- माता ने सभी रुथु की माला पहनी इसलीये मल्लिनाथ नाम पड़ा।
(20) श्री मुनिसुव्रत नाथ जी :- बहुत बोलनेवाली माता ने गर्भ में मौन रहने के कारण मुनिसुव्रत नाम पड़ा।
(21) श्री नमिनाथ जी :- सभी वैरीयों के नम्हे जाने नमिनाथ नाम पड़ा।
(22) श्री अरिष्टनेमिनाथ जी :- अरिष्ट रत्नों की निधि स्वप्न में देखने के कारण अरिष्टनेमि नाम पड़ा ।
(23) श्री पार्श्वनाथ जी :- अन्धकार में सर्प को पास से जाते देख कर पार्श्व नाम पड़ा।
(24) श्री वर्धमान जी :- राज्य में धन धान्य की वृध्दि देख वर्धमान नाम पड़ा।