Tuesday, June 7, 2022

संस्कृत व्यवहारिक शब्दावली-

 संस्कृत व्यवहारिक शब्दावली-


1. *अन्नवर्ग - अन्नों के नाम*
अणुः - बासमती चावल
अन्नम् - अन्न
आढ़ की- अरहर
कलायः- मटर
कोद्रवः - कोदो
गोधूमः-गेहूँ
चणकः- चना
चणकचूर्णम्- वेसन
चूर्णम् - आँटा
तण्डुलः - चावल
तिलः - तिल
द्विदलम्- दाल
धान्यम् - धान
प्रियंगुः – बाजरा मसूरः – मसूर
माषः – उड़द
मिश्रचूर्णम् – मिस्सा आटा
मुद् गः – मूँग
यवः – जौ
यवनालः – ज्वार
रसवती- रसोई
वनमुद्गः- लोभिया
व्रीहिः – धान
शस्यम् - अन्न (खेत में विद्यमान)
श्यामाकः – सावां
सर्षपः – सरसों



2. *आयुध वर्ग- अस्त्रों शस्त्रों के नाम*
आयुधम् - शास्त्र-अस्त्र
आयुधागारम् - शास्त्रागार
आहवः- युद्ध
कबन्धः - धड़
करबालिका - गुप्ती
कारा - जेल
कार्मुकम् - धनुष
कौक्षेयकः - कृपाण
गदा - गदा
छुरिका - चाकू
जिष्णुः - विजयी
तूणीरः - तूणीर
तोमरः - गँड़ासा 2 धन्विन् – धनुर्धर
प्रहरणम् - शस्त्र
प्रासः - भाला
वर्मन् - कवच
विशिखः - बाण
वैजयन्ती - पताका
शरव्यम् - लक्ष्य
शल्यम् - वर्छी
सायुंगीनः - रणकुशल
सादिन् - घुड़सवार
हस्तिपकः – हाथीवान



32. *सर्वनाम वर्ग*
कदा--कब,
यदा--जब,
सदा (सर्वदा)---हमेशा,
एकदा--एक समय,
तदीयः--उसका,
यदीयः--जिसका,
परकीयः (अन्यदीयः)--दूसरे का,
उपरि --ऊपर,
अधः --नीचे,
अग्रे, (पुरः, पुरस्तात्)---आगे,, (पश्चात्, पीछे),
बहिः--बाहर,
अन्तः--भीतर,
उपरि -अधः ---ऊपर-नीचे,
इदानीम् , (सम्प्रति, अधुना) अब,इस समय,
आत्मीयः(स्वकीयः,स्वीयः)अपना,
शीघ्रम् --जल्दी,
शनैः शनैः--धीरे-धीरे,
महत् --महान्,
कुर्वत् --करता हुआ
पठत् --पढता हुआ,
ददत् --देता हुआ,
गमिष्यत्--जाने वाला,
कुर्वत् --करता हुआ, ददत्--देता हुआ,
गमिष्यत्--
जाने वाला,
*पठत् --पढता हुआ,*
सद्यः --तत्काल (अतिशीघ्र),
पुनः --फिर,
अद्य --आज,
अद्यैव ---आज ही,
अद्यापि --आज भी,
श्वः --आने वाला कल,
ह्यः --बीता हुआ कल,
परश्वः --आने वाला परसों,
ह्यश्वः --गया हुआ परसों,
प्रपरश्वः --आने वाला नरसों,
प्रह्यश्वः --बीता हुआ नरसों
पुनः पुनः --बार-बार,
युगपत् ---एक ही समय में,
सकृत् --एक बार,
असकृत् --अनेक बार,
पुरा ,प्राक्--पहिले,
पश्चात् ---पीछे,
अथ ,अनन्तरम् --इसके बाद,
कियत् कालम् --कब तक,
एतावत् कालम् --अब तक,
तावत् कालम्—तब तक




31. *धातु वर्ग*
अभ्रकम् - अभ्रक
आयसम्- लोहा
इन्द्रनीलः - नीलम
कार्तस्वरम् , हाटक- सोना
कांस्यम्- कांसा
कांस्यकूटः - कसकूट
गन्धकः - गन्धक
चन्द्रलौहम्- जर्मन सिल्वर
ताम्रकम्- ताँबा
तुत्थाञ्जनम्- तूतिया
निष्कलंकायसम्- स्टेनलेस स्टील
पारदः - पारा
पीतकम् - हरताल पीतलम् - पीतल
पुष्परागः - पुखराज
प्रवालम् - मूँगा
मरतकम् - पन्ना
माणिक्यम् - चुन्नी
मौक्तिकम् - मोती
यशदम् - जस्ता
रजतम् - चाँदी
वैदूर्यम् - लहसुनिया
सीसम् - सीसा
स्फटिका - फिटकरी
हीरकः - हीरा


32. *सर्वनाम वर्ग*
अत्र---यहाँ,
तत्र --वहाँ,
कुत्र--कहाँ,
यत्र --जहाँ,
अन्यत्र---दूसरी जगह,
सर्वत्र---सब जगह,
उभयत्र---दोनों जगह
अत्रैव ---यहीं पर,
तत्रैव---वहीं पर,
यावत्---जितना,
तावत्---उतना,
एतावत् , (इयत्)---इतना,
कियत्--कितना,
इतः---यहाँ से, ततः --वहाँ से,
कुतः --कहाँ से,
यतः --जहाँ से,
इतस्ततः ---इधर-उधर,
सर्वतः ---सब ओर से,
उभयतः --दोनों ओर से,
कुत्रापि ---कहीं भी,
तत्रापि – उसमें भी
यत्र - कुत्रापि ---
जहाँ कहीं भी,
कुतश्चित् ---कहीं से,
कदाचित् ---कभी,
क्व --कब,
क्वापि --कभी भी,
तदा , तदानीम्---तब,
उस समय,

*3.कृषि वर्ग*
उर्वरा - उपजाऊ
ऊषरः – ऊसर
कणिशः – बाल
कोटिशः - धुर्मुश
कृषिः – खेती
कृषियन्त्रम् - खैती का औजार
कृषीवलः – किसान
क्षेत्रम् - खेत
खनित्रम् -फावड़ा
खनियन्त्रम् - ट्रैक्टर
खलम् – खलिहान
खाद्यम् – खाद
तुषः – भूसी
तोत्त्रम् - चाबुक
दात्रम् – दँराती
पलालः – पराल
फालः – हल की फाल
बुसभ् – भूसा
मृत्तिका – मिट्टी
लाड़्गलम् – हल
लोष्टम् – ढेला
लोष्टभेदनः –मुँगरी, पटरा
वसुधा – पृथ्वी
शाद्वलः – शस्य श्यामल
सीता – जुती भूमि


4. *क्रीडासन वर्ग- खेल सम्बन्धी नाम*
आसन्दिका – कुर्सी
उपस्करः – फर्नीचर
कन्दुकः – गेंद
काष्ठपरिष्करः – रैकेट
काष्ठमंजूषा – आलमारी
काष्ठासनम् – बेंच
क्रीडाप्रतियोगिता- मैच
क्षेपककन्दुकः – वालीवाल
खट्वा – खटिया
जालम् – नेट
निर्णायकः – रेफरी
निवारः – निवाड़
पत्रिक्रीड़ा – बैटमिंटन
पर्पः – चारों ओर मुड़ने वाली कुर्सी
पर्यंङ्कः – सोफा
पल्यङ्कः – पलंग
पादकन्दुकः – फुटबाल
पुस्तकाधानम् – बुकरैंक
प्रक्षिप्त- कन्दुक-क्रीडा – टेनिस का खेल
फलकम् - मेज
मञ्जूषा - संदूक, पेटी
यष्टि-क्रीड़ा – हाकी का खेल
लेखनपीडम् – डेस्क
संवेशः- स्टूल
पत्रिन् – चिड़िया


5. *दिक्काल वर्ग- समय सम्बन्धी नाम*

अपराह्नः – तीसरा पहर
उदीची – उत्तर
कला - मिनट
काष्ठा – दिशा
घटिका – घड़ी
दक्षिणा – दक्षिण
दिवसः – दिन
दिवा – दिन में
नक्तम् – रात में
निदाघः – ग्रीष्म ऋतु
निशीथः – आधी रात
पराह्नः – दोपहर के बाद का समय पूर्वाह्नः – दोपहर के पहले का समय
प्रत्यूषः – प्रातः
प्रदोषः – सूर्यास्त समय
प्रतीची – पश्चिम
प्राची – पूर्व
प्रावृष् – वर्षा – काल
मध्याह्नः – दोपहर का समय
रात्रिन्दिवम् – दिन-रात
वादनम् – बजे
विकला – सेकेण्ड
विभावरी – रात
वेला – समय
हीरा – घण्टा


6. *देव वर्ग- देवता सम्बन्धी नाम*
अच्युतः – विष्णु
असुरः – राक्षस
कृतान्तः – यम
कृशानुः – अग्नि
त्रयम्बकः – शिव
नाकः – स्वर्ग
पविः – वज्र
पीयूषम् – अमृत
पुष्पधन्वन् – कामदेव
पौलोमी – इन्द्राणी
प्रचेतस् – वरूण
मनुष्यधर्मन – कुबेर
मातरिश्वन् – वायु
लक्ष्मीः – लक्ष्मी
वेधस् – ब्रह्मा
शतक्रतुः - इन्द्र
शार्वाणी – पार्वती
सुरः – देवता
सेनानीः – कार्तिकेय



30. *सैन्यवर्ग*
अग्निचूर्णम - बारूद
आग्नेयास्त्रम् - बम
आग्नेयास्त्रक्षेपः- बम फेंकना
एकपरिधानम् - एकवेष, यूनिफार्म
गुलिका- गोली
जलपरमाण्वस्त्रम् - हाइड्रोजन बम
जलान्तरिपोतः- पनडुब्बी
धूमास्रम्- टीयर गैस
नौसेनाध्यक्षः- जलसेनापति
पदातिः- पैदल सेना
परमाण्वस्त्रम्- एटम बम
पोतः- पोत भुशुण्डिः- बन्दूक
भूसेनाध्यक्षः- भू-सेनापति
युद्धपोतः- लड़ाई का जहाज
युद्ध विमानम्- लड़ाई का विमान
रक्षिन् - सिपाही
लघुभुशुण्डिः- पिस्तौल
वायुसेनाध्यक्षः- वायुसेनापति
विमानम् – विमान
शतघन्नी- तोप
शिरस्त्रम्- लोहे का टोप
सैनिकः- फौजी आदमी
सैन्यवेषः- वर्दी



29. *सम्बन्ध सूचक शब्दाः*
अग्रज : -बडा भाई
अनुज:,
निष्ठसहोदर: -छोटा भाई
अरिः – दुश्मन
आत्मजः – पुत्र
आत्मजा – पुत्री
आलिः – सखी
आवुत्तः – बहनोई
उपपतिः – जार
गणिका – वेश्या
जनकः – पिता
जननी – माता
जामाता – दामाद
दूती – दूती
देवर : -देवर
ननान्दृ (ननान्दा) -ननद
नप्तृ (नप्ता) -नाती
पति: -पति
पितामह : -दादा
पितामही -दादी
पितृव्यपुत्र : -चचेरा भाई
पितृव्य : -चाचा
पितृव्यपत्नी -चाची
प्रपौत्र:,
प्रपौत्री -पतोतरा (तरी)
परिचारिका -नौकरानी प्रपितामह : -परदादा
पौत्री -पोती
पितृष्वसृ (पितृष्वसा) -फूआ
पितृष्वसृपति : -फूफा
पैतृष्वस्रीय : -फुफेरा भाई
प्रपितामही -परदादी
प्रमातामह: -परनाना
प्रमातामही -परनानी
पुत्री, आत्मजा  - पुत्री
पौत्र : -पोता
प्रतिवेशी - पड़ोसी श्वसुरः – श्वसुर
सम्बन्धिन् – समधी
साध्वी –पतिव्रता
सौभाग्यवती – सोहागिन
स्वसृ - बहिन
गर्भिणी -गाभिन
बन्धुः –
रिश्तेदार
भागिनेयः – भानजा
भृत्यः – नौकर
भ्रात्रीयः – भतीजा
भातृसुता – भतीजी
मातामह : -नाना
मातामही -नानी
मातुलः –
माना
मातुली – मामी
मातृष्वसृपति : -मौसा -
मातृष्वस्रीय : -मौसेरा भाई
मातृष्वसृ -मौसी
यातृ - देवरानी
योषितः – स्त्री
वयस्यः – मित्र
विश्वस्ता – रण्डा
वृद्धप्रपितामहः – वृद्धपरनाना
श्यालः – साला
श्वश्रूः – सास

7. *नाट्यवर्ग/ संगीत /वाद्ययंत्र सम्बन्धी नाम*
अवरोहः – उतार
आरोहः – चढ़ाव
कोणः – मिजराव
जलतरङ्गः – जलतरङ्ग
डिण्डिमः – ढिढोरा
ढौलकः – ढोलक
तन्त्रीकवाद्यम् – पियानो
तानपूरः –तानापूरा
तारः – तीव्रस्वर
तूर्यम् – तुरही
दुन्दुभिः – नगाड़ा
नवरसाः - नवरस
पटहः – ढोल
मञ्जीरम् – मंजीरा
मध्यः - मध्यम स्वर
मनोहारिवाद्यम्
- हारमोनियम्
मन्द्रः – कोमल स्वर
मुरजः – तबला
मुरली – बाँसुरी
वादित्रगणः – बैण्ड
वीणावाद्यम् – बीनबाजा
सप्तस्वराः – सात स्वर
सारङ्गी – वायोलिन, सारंगी
संज्ञाशंखः – विगुल



8. *पक्षिवर्ग*
कीरः – तोता
कुक्कुटः – मुर्गा
कुलायः – घोंसला
कौशिकः – उल्लू
खञ्जनः – खञ्जन
गृध्रः – गिद्ध
चकोरः – चकोर
चटका – चिड़िया (गौरैया)
चक्रवाकः – चकवा
चातकः – चातक
चाषः – नीलकण्ठ
चिल्लः – चील
टिट्टिभिः – टिटिहीर
तित्तिरः – तीतर
दार्वाघाटः - कठफोड़ा
ध्वाङ्क्षः – कौआ
परभृतः – कोयल
पारावतः – कबूतर
बकः – बकुला
बर्हिन् - मोर
मरालः – हंस
लावः – बटेर
वर्तकः – बतख
वरटा – हंसी
शलभः – टिड्डी, पतंगा
श्येनः – बाज
षट्पदः – भौंरा
सरघा - मधुमक्खी
सारसः – सारस
सारिका – मैना


9. *पशुवर्ग - पशुओं के नाम*
उष्ट्र‚ क्रमेलकः - ऊट
कच्छप: - कछुआ
कर्कट: ‚
कुलीरः - केकड़ा
श्वान:, कुक्कुर:‚
सारमेयः - कुत्ता
सरमा‚ शुनि - कुतिया
कंगारुः -कंगारू
कर्णजलोका -कनखजूरा
शशक: - खरगोश
गो, धेनु: - गाय
खड्.गी - गैंडा
श्रृगाल:‚गोमायुः - गीदड (सियार)
चिक्रोड: -गिलहरी
कृकलास: -गिरगिट
गोधा - गोह
गर्दभ:, रासभ:‚
खरः - गधा
अश्व:,सैन्धवम्‚ सप्तिः‚वाजिन्‚हयः रथ्यः‚ - घोड़ा
मूषक: - चूहा -
तरक्षु:, चित्रक: - चीता
चित्ररासभ: -
चित्तीदार घोड़ा
छुछुन्दर: - छछूंदर
गृहगोधिका - छिपकली
चित्रोष्ट्र - जिराफ
मृग:- हिरन
नकुल: - नेवला
गवय: - नीलगाय
वृषभ: ‚ उक्षन्‚
अनडुह - बैल
मर्कट: - बन्दर
व्याघ्र:‚ द्वीपिन् - बाघ
अजा - बकरी
अज : - बकरा
वनमनुष्य : - बनमानुष
मार्जार:,
बिडाल: - बिल्ली
भल्लूक: - भालू
महिषी - भैस , महिषः भैंसा
वृक: - भेंडिया
मेष: - भेंड
उर्णनाभः‚
तन्तुनाभः‚ लूता - मकड़ी
मकर: ‚ नक्रः - मगरमच्छ
मत्स्यः ‚ मीनः‚
झषः - मछली
दर्दुरः‚ भेकः - मेंढक
लोमशः - लोमडी
सिंह:‚ केसरिन्‚
मृगेन्द्रः‚ हरिः - शेर
सूकर:‚ वराहः - सुअर
शल्यः - सेही
हस्ति, करि, गज: - हाथी
तरक्षुः - तेंदुआ
जलाश्व: - दरियाई घोड़ा


*28.वस्त्राणां नामानि – वस्त्रों के नाम*
अंगरक्षिका-
अंगरखा
उनी वस्त्र - रांकवम्
ओढनी - प्रच्छदपट:
कंबल - कम्बल:
कनात - काण्डपट:,
अपटी
कपड़ा - वस्त्रम्,
वसनम्, चीरम्
कमरबन्द - रसना,
परिकर:, कटिसूत्रम्
कुरता - कंचुक:,
निचोल:
कोट - प्रावार:
गात्रमार्जनी -
अंगोछा
गद्दा - तूलसंतर:
गलेबन्द - गलबन्धनांशुकम्
चादर - शय्याच्छादनम्,
प्रच्छद:
जांघिया - अर्धोरुकम्
जाकेट - अंगरक्षक:
मोजा - पादत्राणम्
रजाई - तूलिका,
नीशार:
रुई - कार्पास:, तूल:
सलवार - स्यूतवरः
साड़ी - शाटिका जूता - उपानह
तकिया - उपधानम्
दरी - आस्तरणम्
दुपट्टा - उत्तरीयम्
धोती - अधोवस्त्रम्,
धौतवस्त्रम्
नाइटड्रेस - नक्तकम्
नायलोन का - नवलीनकम्
पगड़ी - शिरस्त्रम्,
उष्णीषम्
परदा - यवनिका,
तिरस्करिणी,
पायजामा - पादयाम:
पेटीकोट - अन्तरीयम्
पैंट - आप्रपदीनम्
बिछौना - शैय्या
ब्लाउज - कंचुलिका
मरेठा (टोपी) - शिरस्त्राणम्
रेशमी- कौशेयम्
शेरवानी - प्रावारकम्


तक्षणी- बसुला

*वृत्तिः*

तैलकार :,
तैलिक: -तेली
तुन्दिल : -पेटू
त्वष्टा ,
स्थपति:, -बढई
द्यूतकर: -जुआरी
नापित:,
क्षौरिक: -नाई
निर्णेजक : -ड्राई क्लीनर
नीली - नील
अजाजीवः – गड़रिया
अनुपदीना – गमबूट
अन्त्यजः – हरिजन
उपानह – जूता
कुलालः – कुम्हार
चर्मकारः – चमार
चर्मप्रभेदिका- जूता सीने की सूई
तस्करः – चोर
पादुका – चप्पल शस्त्रमार्जक :,
असिजीवी -शाण्डवाला
शौण्डिक : -मांसविक्रेता
शौल्विक : -तांबे के बर्तन बनाने वाला
सूचिका - सूई
सूत्रम् –धागा
स्थापितः - बढ़ई
सौचिक :,
सूचक: -दर्जी
स्वर्णकारः - सुनार
प्रैस्यः – चपरासी
मायाकारः – जादूगर
मार्जनी – झाड़ू
मालाकारः – माली
मृगयुः – शिकारी
मृगया – शिकार
लेपकः – पुताई वाला
शाकुनिकः - बहेलिया
संमार्जकः - भंगी


*27.शैल वर्ग- पर्वत सम्बन्धी*
अद्रिः – पर्वत
अद्रिद्रोणी – घाटी
अधित्यका – पठार
उत्सः – सोता
उपत्यका – तराई
खानिः – खान
गह्वरम् – गुफा
ग्रावा – पत्थर दरीं –
दर्रा
निकुञ्जः – झाड़ी
निर्भरः – पहाड़ी नाला
प्रपातः – झरना
शिला – चट्टान
श्रृङ्गम् – चोटी
हिमसरित् – ग्लेशियर (बर्फीला)

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