Friday, November 5, 2021

वैज्ञानिको की महान खोज : सर्वश्रेष्ठ आहार-शाकाहार'

 'शाक’ शब्द संस्कृत की ‘शक्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है योग्य होना, समर्थ होना, सहज करना । शक् धातु से शक्नोति इत्यादि शब्द बने हैं। शाक शब्द का अर्थ है-बल, पराक्रम, शक्ति एवं शक्त के मायने हैं -योग्य, लायक, ताकतवर। इस तरह शाकाहार का वाच्यार्थ हुआ ऐसा आहार जो मनुष्य की योग्यताओं का विकास करें और उसे बलशाली तथा पराक्रमी बनाये।


वेजीटेरियन शब्द लेटिन भाषा के ‘वेजीटस’ शब्द से जन्मा हैं, जिसका अर्थ है-स्वस्थ, समग्र, समर्थ, विश्वस्त, ठोस परिपक्व, जीवन, ताजा। प्रसीसी का ‘वेजीटेबिल’ शब्द का अर्थ है जीवन-संचारक, अंत जीवन से भरपूर।

महान् वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्सटाईन विशुद्ध शाकाहारी थे वे कहा करते थे कि शाकाहार की हमारी प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

सन् १९४५ में रसायन शास्त्र विषयक नोबल पुरस्कार से सम्मानित डा.अर्तुरी वर्ततेन (हेलिंस्की, फिनलैंड में जवे रासायिनिक शोध संस्थान के निर्देशक) ने कहा है कि दुग्ध शाकाहारीयों का फल, साग-सब्जी, दाल, वसा, न्यूनित दूध आदि से तमाम आवश्यक पोषक तत्व सहज ही मिल सकते हैं।

अमेरिका फूड एंड न्यूट्रीशन बोर्ड की नेशनल रिसर्च कौंसिल ने साफ कहा है कि अधिकांश षोषण विज्ञानी इस तथ्य से सहमत हैं कि यदि शाकाहार को यथोचित संयोजन किया जाए तो वह स्वयं में सम्पूर्ण /पर्याप्त आहार है। दुनिया के प्राय: सभी मुल्कों में शुद्ध शाकाहारियों ने अपना स्वास्थ्य उत्तम प्रकार से बनाये रखा है।

एक वैज्ञानिक खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि ‘शाकाहार में मांस से पांच गुणा अधिक शक्ति है’-ओरियन्टल वॉच्मेन पूना पृ.३५।

संयुक्त राज्य अमेरिका में डेढ़ करोड़ शाकाहारी लोग १९९९ तक हो चुके थे। गेलप पोल अनुमान के अनुसार यू.के.में हर हफ्ते ३ हजार लोग शाकाहारी बन जाते हैं। जिनकी संख्या करोड़ो में पहुच चुकी है।

शाकाहारियो का अच्छा स्वास्थ्य उनके आहार का परिणाम है यह विचार बर्लिन वेजीटेरियन स्टडी की जांच पड़ताल का है। जर्मन स्वास्थ्य दफ्तर के सामाजिक औषध और महामारी विज्ञान संस्थान ने १९८५ में उपर्युक्त अध्ययन शुरू किया था। अध्ययन के अनुसार शाकाहारियों का संतुलित स्वास्थ्य उसके मांस मछली आदि न खाने और मोटे रेशे वाले तथ कम कोलेस्टेरोल वाले अन्न उत्पादनों के सेवन करने का परिणाम है।

वीगन (शुद्ध शाकाहारी) जीवन शैली को एक वाक्य में परिभाषित करते हुए व्रूएल्टी प्र गाइड टू लन्दन के संपादक स्लेक्स बुर्व ने कहा है कि ‘‘एक शाकाहारी न तो किसी जन्तु के किसी अन्तर्वर्ती भीतरी भाग को खाता है और न ही उसके बाहरी भाग को ओढ़ता-पहनता है।’’

सन् १८३५ का दैदीप्यमान भारत मैने भारत की चतुर्दिक यात्रा की है और मुझे इस देश में एक भी याचक अथवा चोर नहीं दिखा। मैंने इस देश में सांस्कृतिक संपदा से युक्त, उच्च नैतिक मूल्यों तथा असीम क्षमता वाले व्यक्तियों के दर्शन किए हैं। मेरी दृष्टि में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत जो कि इस देश का मेरूदंड रीढ़ है, उसको खंडित किए बिना हम देश पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते हैं। मैं प्रस्ताव करता हूँ कि इस देश की प्रचीन शिक्षण पद्धित उनकी संस्कृति को इस प्रकार परिवर्तित कर दें कि परिणाम स्वरूप भारतीय यह सोचने लगें कि जो कुछ भी विदेशी एवं आंग्ल है वही श्रेष्ठ एवं महान हैं इस तरह वे अपना आत्म सम्मान, आत्म गौरव तथा उनकी अपनी मूल संस्कृति को खो देंगें और वे वहीं बन जाऐंगें जो कि हम चाहते हैं-पूर्ण रूप से हमारे नेतृत्व के अधीन एक देश। (लार्ड मैकाले द्वारा २ फरवरी १८३५ को हाउस ऑफ कॉमन्स ब्रिटिश संसद में दिए गए भाषण का अंश) उपरोक्त ऐतिहासिक दस्तावेज की प्रतिलिपि सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा परमपूज्य जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को उपलब्ध कराई गई।

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